Sunday, August 31, 2008

Saturday, August 30, 2008

Thursday, August 21, 2008

ये शाम ....

ये शाम जो तुम देख रही हो

उसकी लालिमा तेरे होठों अमानत है

ये गाते हुए पंछी

सब तेरी हँसी की शरारत हैं

मैं तो कुछ भी नहीं
हवा का एक जोका हूँ

जो आता हूँ और गुजर जाता हूँ

पर मेरी इस छुवन से जो mअहका है बदन तेरा

बस यही मेरी मोहब्बत है।

तुम कौन हो

महकते फूलों की तरहा तुम मेरी सांसों में उतर जाती हो

बादल की बूंदों सी मेरी आँखों में भर आती हो

तुम कौन हो

क्यों तुम कोई जवाब नहीं देती

गती अपनी सी हो

फ़िर ये बेगानापन क्यों।

कल तुम आई और मेरे

आंगन में तुलसी की तरहा

अपनी खुशबू बिखेर गई।

मैंने देखा था तुमको अल्हड मस्ती मे जूमते हुए

तुम तितली की तरहा यहाँ से वहां

डोलती रही

कई बार सोचा की मैं तुमको पकड़ कर

अपनी बागिया मे सजा लू

पर सहम गया

क्योंकि तुम हंसती और गाती

स्वतंत्र गूमती ही प्यारी लगाती हो।

मोहब्बत

ये शाम जो तुम देख रही हो
उसकी लालिमा तेरे होठों अमानत है
ये गाते हुए पंछी
सब तेरी हँसी की शरारत हैं
मैं तो कुछ भी नहीं हवा का एक जोका हूँ
जो आता हूँ और गुजर जाता हूँ
पर मेरी इस छुवन से जो mअहका है बदन तेरा
बस यही मेरी मोहब्बत है।