महकते फूलों की तरहा तुम मेरी सांसों में उतर जाती हो
बादल की बूंदों सी मेरी आँखों में भर आती हो
तुम कौन हो
क्यों तुम कोई जवाब नहीं देती
लगती अपनी सी हो
फ़िर ये बेगानापन क्यों।
कल तुम आई और मेरे
आंगन में तुलसी की तरहा
अपनी खुशबू बिखेर गई।
मैंने देखा था तुमको अल्हड मस्ती मे जूमते हुए
तुम तितली की तरहा यहाँ से वहां
डोलती रही
कई बार सोचा की मैं तुमको पकड़ कर
अपनी बागिया मे सजा लू
पर सहम गया
क्योंकि तुम हंसती और गाती
स्वतंत्र गूमती ही प्यारी लगाती हो।
विकल्प
11 years ago
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