कभी कभी सोचता हूं िक तुम्हारे िबना िजन्दगी िकतनी अधूरी हो जाती है। ना कही हलचल होती है और ना कोई उमंग शेष रहती है। इस घ्ार में कुछ भी ऐसा नहीं है जो तुम्हारी यादों से जुडा हुआ नहीं हो, रसोई िबस्तर, टेबल, कुर्सी या कोई जगह। हर जगह पर मानों तुम्हारा स्पर्श हो। ये सारे तब तक ही अपने लगते है जब तक तुम घर में होती हो। तुम्हारे चले जाने के बाद मैं तुम्हारी जमाई हुई िकसी िकताब को नहीं छुता, क्यों िक जो मजा तुम्हारे होने पर जमी िकताबे इधर उधर रख छोडने में आता है वो तुम्हारे जाने के बाद नहीं आता।
जब रसोई में तुम मेरे िलए पूरे मन से कुछ पकाया करती हो और पीछे से आकर मैं तुम्हे अपनी बांहों में भर लेता हूं, और तुम कहती हो छोडो ना देखो वो जल चले जाओ नहीं तो मैं तुम्हे पानी से गीला कर दूंगी। िफर चुम्बन की वो झडी लग जाती है। तुम्हारा वो कोमल स्पर्श हमेशा तुम्हारे प्यार की गहराइयों की याद िदलाता है।
जब भी तुम कहीं जाती हो िबस्तर की िसलवटों को तुम्हारे जाने के बाद मैं ठीक वैसे ही रख छोडता हूं, क्यों िक उसमें तुम्हारा ढेर सारा प्यार िछपा होता है। मैं सोते समय तुम्हे अलग तकीया लेने की कहता हूं और तुम ये कहती हुई िक मुझे तकीये की कहां जरूरत है मेरे सीने पर सर रखकर सो जाती हो। मेरे बालों को सहलाते हुए अपने सपनों की बातें करना। और धीरे धीरे नींद की आगोश में चले जाना।
जब तुम नहीं होती हो तो मुझे नींद कहां आती है। इधर उधर टहलते और टीवी चैनल बदलते रात गुजार लेता हूं। पल पल तुम्हारा फोन करना तुम्हारी बेकरारी बया करता है। देखो दूध पी लेना, खाना नहीं बने तो होटल पर खा लेना लेिकन भूखे मत रहना जैसी ढेर सारी बातें िरश्तों के बंधन को और भी मजबूत कर देती है।
विकल्प
11 years ago
1 comment:
Wah!!!! Bahut khoob..
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